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संघर्ष के लिए तैयार हूँ - शुभम कुमार जांगिड़

            फ़िल्मी दुनिया में कितना संघर्ष करना पड़ता है यह तो मुम्बई आने पर ही पता चलता है । इस महानगर को यूँ ही सपनों का शहर नहीं कहा जाता है क्योंकि जब कोई हीरो बनने का सपना देखता है तब उसे साकार करने की कोशिश भी करता है इसीलिए सबसे पहले वह मुम्बई पहुँचने की कोशिश में लग जाता है । 
 यहाँ पर एक कहावत फिट बैठती है कि जब कोई किसी चीज को सच्चे दिल से चाहता है तो पूरी कायनात उसे मिलाने कोशिश करती है। 
     कुछ इसी तरह से जयपुर राजस्थान के पास के एक गाँव तितरिया से एक नौजवान शुभम कुमार हीरो बनने का सुनहरा सपना लिए मुम्बई पधारे हैं।
      शुभम को पहले तो क्रिकेट में दिलचस्पी थी मगर फिल्में देखने के शौक ने अचानक इनके मन को बदल डाला और जनाब रात दिन एक्टर बनने का सपना देखने लग गए । ऐन मौके पर उनके पापा के दोस्त अरविन्द राठौड़ मिल गए । अरविन्द भाई फ़िल्मी दुनिया से भली भाँति परिचित थे अतः वे शुभम को लेकर मुम्बई आ गए और यहाँ पहुँच कर अपने सर्कल के कुछ प्रोडक्शन हाउस में उसे ऑडिशन दिलवाये । यहाँ पर पहचान काम आ गयी इस तरह से देखते देखते शुभम को दो फ़िल्म और एक डी डी वन के लिए बन रही सीरियल ' बुलबुल' के अच्छे किरदार मिल गया है।
     शुभम को कॉमेडी एवं रोमांटिक फिल्में पसंद आती हैं खासकर अक्षय कुमार और वरुण धवन की फिल्में।
 मुम्बई में समय बिताते हुए शुभम को लगने लगा है कि फ़िल्म लाईन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है, यहाँ पर एक से बढ़कर एक कलाकार देश के कोने कोने से आये हुए हैं और इनकी मौजूदगी में इन्हें अपने टैलेंट को साबित करना है ताकि भीड़ में से आगे आकर मैं खुद की अलग पहचान बन सके ।
 
 
संतोष साहू