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कमजोर कहानी कमजोर स्क्रीनप्ले से 'मातृ' का मातृत्व खो गया ( स्टार 2. 5/5 )

    इस हफ्ते २ फिल्में  देखी एक 'मातृ' दूसरी 'नूर'  दोनों ही फिल्मो की कहानी आप कई बार देख ही चुके हैं,  मातृ' की कहानी की बात करे तो वही बेटी का बलात्कार और फिर बदले की भावना पर आधारित हैं | 
फिल्म :  मातृ
श्रेणी  :  थ्रिलर ड्रामा
निर्देशक : अश्तर सैयद
स्टार : २. 5/ 5
कास्ट : रवीना टंडन , मधुर मित्तल , दिव्या जगदाले, शैलेन्द्र गोयल , अनुराग अरोड़ा , रुषाद राणा
निर्माता : माइकल पेलीको
 
     बात करते हैं कहानी की  मां विद्या चौहान (रवीना टंडन) और बेटी टिया (अलीशा खान) की है, जो स्कूल के एनुअल फंक्शन से फ्री होकर जब घर की तरफ रवाना होते हैं तो  मुख्यमंत्री के बेटे अपूर्व मलिक (मधुर मित्तल) और उसके साथी, मां बेटी की गाड़ी को रोककर इनका अपहरण और गैंगरेप करते हैं। मिनिस्टर का बेटा (अपूर्व) होने की वजह से पुलिस कार्यवाही में जब देरी करती है  विद्या चौहान जाग उठती है और इस दुष्कर्म का बदला पांचों आरोपियों से एक-एक करके लेती है।कैसे लेती किन किन तरीकों का इस्तेमाल करती हैं, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होंगी | 
बात करते हैं  निर्देशन की फिल्म का डायरेक्शन और  डायलॉग्स ठीक ही हैं। फिल्म की खास बात या निर्देशन कहे तो रियल लोकेशन पर शूट किया गया वह अच्छा लगता हैं, फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भी काफी दिलचस्प है। फिल्म में कमजोरी है तो वह है इसकी कहानी और इस कारण स्क्रीनप्ले भी ढीला नज़र आया  | 
अभिनय की बात करे तो फिल्म में रवीना टंडन का यह रूप हम फिल्म दमन ने देख ही चुके हैं,जिस कारण  उन्हें करने में बड़ी आसान ही लगा होगा, वहीं, मधुर मित्तल ने नेगेटिव किरदार काफी उम्दा तरीके से निभाया है साथ ही दिव्या जगदाले, अनुराग अरोरा, रुषाद राणा ने भी अच्छा काम किया है।

संगीत की बात करे तो  फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है और केवल एक ही गाना जिंदगी-ए-जिंदगी.. बार बार फिल्म में पिरोया गया है, जो कहानी के साथ ही चलता हैं | 
 
मेरे ख्याल से यह फिल्म देखे न देखे कुछ खास फर्क नहीं पड़ता फिर भी आपकी इच्छा |