नूर की कहानी भी कुछ अलग नहीं हैं वही किडनी रैकेट , आपको बता दे की यह पाकिस्तानी लेखक 'कराची किलिंग मी' नावेल पर आधारित है|
फिल्म : नूर
श्रेणी : ड्रामा
निर्देशक : सनहिल सिप्पी
स्टार : 3/5
कास्ट : सोनाक्षी सिन्हा, कनन गिल, मनीष चौधरी,
पूरब कोहली, शिबानी दांडेकर, स्मिता ताम्बे
निर्माता : टी सीरीज, विक्रम मल्होत्रा
संगीत : अमाल मलिक
बात करते है कहानी की यह कहानी हमसे में से शायद की पत्रकार की हो सकती हैं वैसे जर्नलिस्ट नूर रॉय चौधरी (सोनाक्षी सिन्हा) की है, जो मुंबई में बज चैनल के लिए न्यूज रिपोर्टिंग करती है। नूर को सनसनी खबरों को कवर करना हैं लेकिन उनका बॉस (मनीष चौधरी) के कहने पर उसे बॉलीवुड की खबरें ज्यादा कवर करनी पड़ती है। नूर के घर में उसके पिता हैं, साथ ही घर के बाहर उसकी दोस्त जारा (शिबानी दांडेकर) और साद सहगल (कनन गिल) हैं, जो हमेशा उसकी देख रेख करते रहते हैं। नूर का एक खास दोस्त अयान बनर्जी (पूरब कोहली) भी है, जो उसके लिए काफी स्पेशल है। कहानी में मोड़ तब आता है जब एक दिन नूर को किडनी रैकेट की खबर मिलती हैं , यह अक्सर होता हैं वही फिल्म में भी दिखाया गया, नूर की कहानी अयान बनर्जी अपने नाम से दूसरे चैनल में चला लेता हैं । यह सुन नूर को बड़ा गुस्सा आता हैं, फिर क्या होता क्या नूर इस रैकेट का पर्दाफास करती है, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होंगी |
बात करते है निर्देशन की फिल्म का निर्देशन, लोकेशंस और कैमरा वर्क काफी अच्छा है, यहाँ तक सिनेमैटोग्राफी कमाल की है। पर जब आप फिल्म देख रहे हो तब कई बार या यु कहे बार बार बोर करती हैं | थोड़ी मेहनत की होती और फिल्म को और थोड़ा वक़्त दिया होता शायद फिल्म और निखार कर आती |
अभिनय की बात करे तो सोनाक्षी सिन्हा ने काफी अच्छी अभिनय किया, साथ ही कनन गिल, शिबानी दांडेकर, मनीष चौधरी, पूरब कोहली का कामठीक ठाक है। मराठी एक्ट्रेस स्मिता ताम्बे ने 'मालती' का किरदार बहुत ही उम्दा निभाया है।
संगीत की बात करे तो फिल्म का संगीत बूरा भी नहीं है और अच्छा भी नहीं है। गुलाबी आंखें.., उफ ये नूर... जैसे गाने कहानी के साथ चलते हैं बैकग्राउंड स्कोर भी अच्छा ही हैं
यह कहानी भी कई बार देख ही चुके हो कुछ नया तो नज़र नहीं आया |
पुष्कर ओझा