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कमजोर नज़र आई वॉरियर सावित्री ( स्टार २ )



     सत्यवान और सावित्री की कहानी तो हमने सुनी ही है, सावित्री कैसे अपने  पति  के प्राण यमराज से वापस ले आती हैं, इस आधुनिक युग में इस तरह की सत्य कहानी प्ररित करती हैं, आज के युवा वर्ग को, खेर फिल्म वॉरियर सावित्री की कथा पटकथा भी यही हैं, फिल्म रिलीज़ हो गई आईये करते है समीक्षा
सावित्री ( निहारिका रायज़ादा ) राजस्थान के शहर में हवेली में पली बड़ी हुई, दरअसल सावित्री का बचपन में कुछ लोकल गुंडे उठा ले लाते  हैं, पर वह किसी तरह बच निकलती हैं जहा सावित्री की रक्षा करते है एक मार्शल आर्ट गुरु, उसके बाद सावित्री ने भी इस कला को सिखने की इच्छा जाहिर की और वह सिख भी लेती हैं, अब वह बड़ी हो गई एक हादसे के दौरान उसकी मुलाकात सत्यवान ( रजत बरमेचा) से होती है और दोनों में धीरे धीरे प्यार हो जाता हैं, पर जब पंडितजी दोनों की कुंडली मिलाते तो सावित्री से साफ़ देते है की अगर दोनों ने शादी की तो सत्यवान २ हफ़्तों में मृत्यु हो जाएँगी, पर यह बात न सावित्री मानती है और न सत्यवान, क्योंकि सत्यवान अमेरिका में पला बड़ा हुआ हैं उसे इन सब बातो पर विश्वास  ही नहीं होता, सावित्री पिता के खिलाफ शादी करती हैं और सत्यवान - सावित्री अमेरिका चले जाते हैं, यहाँ सावित्री सत्यवान के साथ एक घटना होती हैं और सावित्री को यमराज ( ओम  पूरी ) नज़र आते हैं । आगे की कहानी के लिए फिल्म देखे । 
       स्क्रिप्ट फिल्म की काफी कमजोर नज़र आई स्क्रीनप्ले, सवांद कई खामिया नज़र आती हैं फिल्म में लोकेशन को अच्छी तरह से पिरोया हैं, पर कहानी कहने और उसे पर्दे पर ठीक से लाने में निर्देशक   परम गिल चूक गए । 
          अभिनय की बात करे तो निहारिका ने अपना १०० परिषत देने की कोशिश की हैं, इस फिल्म में नहीं जचे तो रजत अब उन्हें इस तरह का रोल, यह जोड़ी भी पर्दे पर अच्छी नहीं लगी । ओम पुरी मार्शल आर्ट करते नज़र आये है , तो गुलशन ग्रोवर एक शरीफ पिता बने हैं वह भी ब्लाइंड । विदेशी कलाकार लूसी पिंटर (कंडी) और  रोन स्मूरनबुर्ग ( मनी  जॉन ) के रोल को निभाने में सक्षम नज़र आये ।  
संगीत की बात करे तो कोई ऐसा गाना   नहीं हैं जिसे आप सिनेमा घर से निकल कर गुनगुना ते रह जाए । 
      कमजोर कड़ी तो काफी कुछ हैं अभिनय, सवांद,  स्क्रीनप्ले, कहानी कहने का अंदाज आप सत्यवान सावित्री की बात कर रहे हो पर यह फिल्म कुछ और ही नज़र आती हैं । 
 
अब आपकी इच्छा फिल्म देखे या न देखे 
 
पुष्कर ओझा