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कमजोर स्क्रिप्ट के चलते डराया कम हसाया ज्यादा 'परी' ने (स्टार 2 /5 )

कहते हैं भगवान होते हैं तो शैतान भी होते, फिल्म परी की कहानी भी कुछ ऐसी ही हैं, आपको बता दे अनुष्का शर्मा की शादी के बाद यह पहली रिलीज़ फिल्म हैं, यह तीसरी फिल्म अनुष्का ने प्रोडूस की हैं | आइये जानते हैं आखिर कितनी डरवानी और जानते हैं | ..

फिल्म       :  'परी'
श्रेणी         :     हॉरर सस्पेंस थ्रिलर
निर्देशक    : प्रोसित रॉय
निर्माता     : अनुष्का शर्मा, कारनेश शर्मा, प्रेरणा अरोड़ा और अर्जुन एन. कपूर
कास्ट       : अनुष्का शर्मा, परमब्रता चटर्जी, रिताभरी चक्रवर्ती, रजत कपूर
संगीत       : अनुपम रॉय
रेटिंग         :   2/5
समीक्षक     : पुष्कर ओझा 
 
      कहानी की बात करे तो अर्नब (परमब्रता चटर्जी)के हाथों के दुर्घटना हो जाती हैं, और अचानक उसे बेड़ियों में जकड़ी रुखसाना खातून (अनुष्का शर्मा) से मुलाकात होती हैं, रुखसाना की हालत देख अर्नब अपने घर में ले जाते हैं,और धीरे धीरे रुखसाना को अर्नब से प्यार हो जाता हैं, वैसे अर्नब की खास दोस्त कहे या परिवार वालों ने उसके लिए लड़की पसंद की हैं वह हैं पियाली (रिताभारी चक्रवर्ती), यहाँ एक बात बता दू की रुखसाना कोई आम लड़की नहीं हैं वह तो इफरत  की बेटी हैं इफरत का मतलब शैतान होता हैं |  यह बात जब तक अर्नब को समज  आती तब तक रुखसाना गर्भवती हो जाती हैं | कहानी में ट्विस्ट तब आता है,जब हासिम अली (रजत कपूर) की एंट्री होती है। हासिम अली इफरत को जड़ से मिटानी की कसम खाई होती हैं और उनमे यह शक्ति भी हैं | तो क्या रखसाना भी और आखिर रुखसाना की कहानी क्या हैं इन सब सवालो के लिए आपको फिल्म देखनी होंगी | 
   
   बात करते हैं निर्देशन की निर्देशक प्रोसित रॉय ने फिल्म की कहानी पर तो काम किया है। यहाँ तक डराने में भी कामयाब हुए, सीन, लोकेशंसाभी को दर्शाने में कोताही नहीं की पर कहानी की स्पष्ट तरीके से पेश नहीं कर पाए, पहले हाफ तक तो आप कहानी से कनेक्ट भी नहीं कर पाओगे | 

     अभिनय की बात करते हैं अनुष्का शर्मा ने वाकय कमाल का अभिनय किया हैं । अनुष्का ने अपने किरदार में जान फुक दी थी। परमब्रता चटर्जी ने भी किरदार के साथ न्याय किया है। यहाँ तक  रिताभरी चक्रवर्ती अच्छी एक्टिंग की हैं, फिल्म में सबसे दमदार किरदार निभाया तो वह हैं  रजत कपूर तारीफ करनी होंगी रजत कपूर की |  
 
     बात करते हैं संगीत की फिल्म का म्यूजिक अनुपम रॉय और बैकग्राउंड म्यूजिक केतन शोभा का हैं, अमूमन हॉरर फिल्म में जैसी म्यूजिक चाहिए वैसे देने की एक अच्छी कोशिश भी की गई, रहा सवाल गानो का तो फिल्म में गाने इतने कर्ण प्रिय थे भी नहीं की जिसके बारे में कुछ कहा जाए | 
 
    कमजोर कड़ी की बात करे तो कहानी को प्रस्तुत ठीक तरीके से नहीं किया गया, इफरत का मतलब काफी देर बाद समज में आया, कई सीन फिल्म ख़त्म होने के बाद भी स्पष्ट नहीं होते, आखिर यह सीन था क्या कुछ बातो पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता थी |