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काफी कमजोर नज़र आया 'द लीजेंड ऑफ माइकल मिश्रा' ( १/५ स्टार )

          डायरेक्टर मनीष झा ने  अब तक अहम् विषयों पर फिल्में बनाई हैं 'अनवर' और 'मातृभूमि' जैसी पर इस बार  उन्होंने कॉमेडी फिल्म 'द लीजेंड ऑफ माइकल मिश्रा' बनाई है. क्या मनीष कॉमेडी में खरे उतरे हैं। ...... 
         फिल्म की कहानी की बात करे बिहार के रहने वाले माइकल मिश्रा (अरशद वारसी) की है, जिसे किडनैपर  है। वह बड़ी ही अलग-अलग तरह से किडनैपिंग करता रहता है। इसी बीच जब उसकी नजर वर्षा शुक्ला (अदिति राव हैदरी) के ऊपर पड़ती है तो उसकी जिंदगी में बदलाव आने लगते हैं। कई सारे किरदारों जैसे हाफ पैंट (कायोजे ईरानी) चाचा, चाची, पंटर आदि की एंट्री होती है। आखिरकार एक अजब-सा क्लाइमेक्स आता है अब इसके लिए आपको फिल्म देखनी होंगी । 
       डायरेक्टर मनीष झा खुद बिहार के रहने वाले हैं और उन्होंने अपने एक्टर्स के जरिए वहां के मूड को भरपूर दिखाने की कोशिश की है. लेकिन स्क्रिप्ट काफी कमजोर सी दिखाई पड़ती है. कहीं कहीं हंसी जरूर आती है लेकिन पूरी तरह से कनेक्ट कर पाना मुश्किल है.सिनेमेटोग्राफी कमाल की है और कुछ शॉट्स तो  याद रख सकते हैं। 
          अभिनय की बात करे तो अरशद वारसी की कॉमिक टाइमिंग तो सभी जानते ही हैं, अरशद ने लंबे बालों के साथ एक अच्छा किरदार निभाया है। अदिति राव की मौजूदगी भी उनके किरदार को संवारती है। बमन ईरानी ने  उम्दा अभिनय किया है। कायोजे ईरानी का काम भी अच्छा है।
           रहा सवाल संगीत का फिल्म का संगीत ठीक-ठाक है और बैकग्राउंड स्कोर उम्दा है.कुछ फ्रेश गाने सुनने को मिलते हैं। 
 
पुष्कर ओझा