भगवान श्री कृष्णा के हम सब भक्त हैं, उनका प्यार राधा के साथ भी उतना ही था, जितना वह मीरा के मोहन बन मीरा को किया, यह सब बाते हमें बचपन से सुनाई जाती हैं और हम सब कृष्णा की लीलाओ से अछूते भी नहीं हैं, खेर इस हफ्ते रिलीज़ हुई फिल्म मीराधा का विषय भी यही है । करते है इस फिल्म की समीक्षा
फिल्म की कहानी कृष्णा शर्मा (सन्देश गौर ) की हैं, जो बचपन से ही शरारती और नटखट हैं, कृष्णा के कुछ दोस्त हैं जो उन्हें हर कदम पर साथ देते हैं, और हा कृष्णा की दो सहलियां भी है मीरा ( वीनस जैन ) और राधा ( सुहानी जैथलिया ) कृष्णा ,राधा और मीरा तीनो एक ही स्कूल में पढ़ते हैं पर एक दिन राधा के पिता उसे बोर्डिंग स्कूल में भेज देते हैं, इतेफाक से राधा उसी कॉलेज में पढ़ने आती हैं जहाँ कृष्णा और मीरा पढ़ रहे हैं, कहानी बढ़ती है और राधा कृष्णा की शादी हो जाती हैं शादी के बाद कृष्णा रोज मदिरा पीकर घर आता हैं राधा उससे अलग हो जाती है यह सब कृष्णा के पिता को गलत नज़र आता है और उनकी हार्डटेक से मृत्यु हो जाती हैं । इस बीच लक्ष बिल्डर का किरदार भी नज़र आता हैं जिसे मीरा के कारण एक प्रोजेक्ट नहीं मिलता हैं, जिससे वह मीरा को जान से मारने की सुपारी एक लोकल गुंडे को देता हैं । पर गलती से लोकल गुंडे के हाथो राधा गोली चलती हैं । तो क्या राधा की भी मृत्यु हो गई , क्या मीरा और कृष्णा मिलते हैं क्या लक्ष बिल्डर पर कोई पकड़ा जाता हैं , इन सवालो के जवाब के लिए देखे फिल्म ।
बात करते हैं कमजोर कड़ी की तो फिल्म निर्देशन से लेकर हर जगह कमजोर ही नज़र आई, स्क्रीनप्ले, सवांद, सिनेमेटोग्राफी, लोकेशन ठीक से प्रस्तुतु नहीं पाए, जबकि फिल्म राजस्थान पर है और राजस्थान में लोकेशन की कमी यह कहना ही होंगा,हम कई फिल्मो में राजस्थान की खूबसूरती देख चुके है ।
अभिनय की बात करे तो सन्देश गौर ने ठीक ठाक अभिनय किया, वही वीनस और सुहानी को एक्टिंग सीख कर फिल्मे करनी थी।
संगीत अच्छा हैं पर उसे ठीक से पिरोया नहीं गया ।
मैं यही कहूंगा की सभी की पहली फिल्म हैं गलतियों से ही आदमी सीखता हैं ।
फिल्म एक बार देखी जा सकती हैं आप अपेक्षा न करे । आप निर्भर पर हैं ।
पुष्कर ओझा