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खिलाड़ियों के साथ होने वाली राजनीति को मुक्का लगाती फिल्म मुक्काबाज़ (स्टार 2.5/5 )

   वैसे हमारे देश में कला खेल की कमी नहीं हैं, कमी कही हैं तो सिस्टम में जिस कारण न कला निखर के आती है और न खिलाड़ी बस यही कहानी है फिल्म मुक्काबाज़ की जिसे निर्देशन किया अनुराग कश्यप ने |  
फिल्म ;  मुक्काबाज़ 
श्रेणी : स्पोर्ट्स ड्रामा
निर्देशक : अनुराग कश्यप
निर्माता : आनंद एल राय
कास्ट : विनीत कुमार, जोया हुसैन, जिमी शेरगिल, रवि किशन, दीपक तलवार
संगीत  :  प्रशांत पिल्लई
रेटिंग :   2.5/5
 
   कहानी की बात करते हैं  फिल्म 'मुक्काबाज'  की कहानी है एक बॉक्सर की , जो एक  नेशनल चैम्पियन बनना चाहता  है। फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश के शहर बरेली से शुरू होती है।  श्रवण कुमार (विनीत सिंह) बॉक्सर बनना चाहता है। श्रवण का सपना है कि वो यूपी का माइक टायसन बने। ट्रेनिंग लेने के लिए वह नेता भगवान दास मिश्रा (जिमी शेरगिल) के यहां जाता है। पर यहाँ  बॉक्सर्स से गेहूं पिसवाना, खाना बनवाने से लेकर  सारे पर्सनल काम करवाते हैं। खेर एक दिन श्रवण को मिश्रा जी की भतीजी सुनैना (जोया हुसैन) से प्यार हो जाता है।और यह खबर मिश्रा जी को भी लग जाती है। इसी बीच श्रवण को नेशनल लेवल पर खेलने के लिए ट्रेनिंग लेने बनारस जाना पड़ता है। यहां उसे कोच संजय कुमार (रवि किशन) ट्रेनिंग देते हैं। यहां भी श्रवण को राजनीति की शिकार होना पड़ता है।  अब तक श्रवण सुनैना से शादी भी कर चूका हैं, खेर अब एक तरफ अपनी पत्नी दूसरी तरफ नेशनल चैम्पियन और राजनीती किया होता हैं श्रवण का इसके लिए आपको फिल्म देखनी होंगी | 

  निर्देशन की बात करते हैं अनुराग कश्यप ने  कमाल का डायरेक्शन किया है।  फिल्म में उत्तर प्रदेश का फील भी आता हैं । बस कमी हैं तो फिल्म थोड़ी लंबी है, जिसे छोटा किया जा सकता था। लेकिन ओवरऑल फिल्म बेहतरीन है।
   अभिनय की बात करे तो विनीत कुमार और जिमी शेरगिल का काम बहुत बढ़िया  है। दोनों ने ही अपने-अपने किरदार के साथ न्याय किया है।  विनीत ने अपने किरदार के साथ भी इंसाफ किया है। उन्होंने अपने रोल के लिए रियल में बॉक्सिंग सीखी थी। रवि किशन और जोया हुसैन का काम भी ठीक रहा।
  फिल्म का संगीत ठीक ठाक  हैं । बैकग्राउंड म्यूजिक भी अच्छा  है। 'पैंतरा..' और 'बहुत हुआ सम्मान..' फिल्म रिलीज से पहले ही हिट हो चुके हैं।
 
पुष्कर ओझा