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खिलाड़ी के संघर्षों की गाथा है फिल्म 'मेडल- पेट नहीं भरता' (स्टार 3/5 )

 
 
फ़िल्म समीक्षा
 'मेडल- पेट नहीं भरता'
लेखक निर्देशक : गणेश मेहता
कलाकार: मुजाहिद  खान, इंद्रिशा बसु , तनुश्री बसक और अजय शर्मा 
रेटिंग: 3 स्टार
समीक्षक: गाज़ी एम. 
 
 
 
 हाल ही में अनुराग कश्यप की फ़िल्म "मुक्काबाज़" रिलीज़ हुई थी और अब इसी हफ्ते एक और मुक्केबाज की कहानी पेश की गई है जिसका नाम है "मेडल" और जिसकी टैग लाइन है 'पेट नही भरता"। निर्माता निर्देशक गणेश मेहता ने इसी लाइन पर पूरी फिल्म की कहानी बुनी है कि केवल मेडल से पेट नही भरता।
हमारे देश में खेल और खिलाड़ियों के प्रति प्रशासनिक एवं राजनैतिक उदासीनता की वजह से अक्सर प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को आर्थिक समस्याओँ का सामना करना पड़ता है। जी के एंटरटनमेंट बैनर तले निर्मित " मेडल - पेट नहीं भरता " में एक खिलाड़ी के इसी संघर्ष को रेखांकित किया गया है।
मुख्य किरदार में मुजाहिद  खान, इंद्रिशा बसु , तनुश्री बसक और अजय शर्मा नजर आते है। बेशक फ़िल्म मुजाहिद खान के कंधों पर है और उन्होंने अपने रोल के साथ इंसाफ भी किया है। इमोशनल सीन हो या सीरियस दृश्य हो, मुजाहिद ने अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई है।
" मेडल " दरअसल एक महत्वाकांक्षी मुक्केबाज जीतू (मुजाहिद खान ) की कहानी है जिसके परिवार की भी अपनी ज़रूरतें हैं। जीतू को अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करना है लेकिन साथ ही मुक्केबाज़ के तौर पर तैयारियां भी करनी हैं।  वह अपने लिए महंगे उच्च प्रोटीन वाले आहार को पाने के लिए अपने बच्चों की खुशियों को कुर्बान करता हैं ताकि वह अपने गोल्ड मैडल जीतने के  सपने को पूरा कर सके। लंबे संघर्ष के बाद आखिर  विश्व चैंपियनशिप जीतने के बाद जीतू को एक स्वर्ण मेडल मिलता हैं लेकिन एक दिन आर्थिक तंगहाली में जीतू को जब पता चलता है कि उसे पुरस्कार में मिला मैडल गोल्ड का नहीं है, तो जैसे उसपर पहाड़ टूट पड़ता है। फिल्म की कहानी बेहद इमोशनल और दिल को छू लेने वाली है।
फिल्म की कहानी लिखने के साथ ही गणेश मेहता ने फ़िल्म के गाने भी लिखे है साथ ही संगीत निर्देशन भी उनका ही है। 
निर्माता निर्देशक गणेश मेहता ने इस फ़िल्म के ज़रिए देश में खिलाड़ियों की आर्थिक तंगहाली जैसे संवेदनशील मुद्दे को दर्शाने की कोशिश की है। साथ ही उन्होंने खेल जगत की चमक दमक के पीछे के अंधेरे और साज़िशों को भी दिखाया है। कुछ जज़्बाती सीन्स गणेश मेहता ने बखूबी डायरेक्ट किये है। उनमें एक बेहतर निर्देशक की संभावनाएं स्पष्ट रूप से दिख रही हैं।
 
रेटिंग: 3 स्टार
समीक्षक: गाज़ी एम.