Khabar Cinema

खोखले पिल्लर बेसमेन्ट के स्टार..05

            एक तरफा प्यार कहते है घातक होता है, यही है फॉर पिल्लर ऑफ़ बेसमेन्ट की कहानी, समीर एक सिक्यूरिटी गार्ड है पर वह जिस मोल में है वही एक ऑफिस की लड़की का इस कदर दीवाना है की वह एक पढ़ा लिखा होने के बावजूद सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी करता है, चार साल के बाद एक दिन जब बेसमेन्ट  अपनी गाड़ी से रिया अपने  घर के लिए ऑफिस से देर रात निकलती है उसी का फायदा उठाने की कोशिश करता है समीर, दिवाली की रात है रिया घर जाने के लिए कार में बैठती है और पूरी फ़िल्म में बेसमेन्ट से निकलने की कोशिश में रहती है रिया| पर वह सफल नही हो पाती है| रिया का मंगेतर भी है उसे सब पता है फिर भी, आखिर वह अपने प्यार से चाहता किया है|
     डायरेक्टर गिरेश नाइक ने किरदारों को लगता है स्पेश देना भूल गए, लेखक खासकर डायलोग किसने लिखे किया उसने कभी हिन्दी फिल्में नही देखी जो इस तरह से संवाद लिखे, एक्टर दिलजान वाडिया लग रहा था जैसे शाहरुख की नकल कर रहे हो, अरे अपना करो नकल भी करो तो उसमें भी अकल होनी चाहिए, (रिया) आलिया सिंह एक्टिंग सिख के फिल्मों में कदम रखना चाहिए था, ना डरना आता है ना रोना और संवाद बोलना| फ़िल्म में सॉन्ग भी न होते तो कोई फर्क नही पड़ता| 
      मै इतना ही कहूँगा की आप जब भी फ़िल्म बनाए तो दर्शकों का खयाल रखे की वह 200 से 300 रुपिये खर्च कर फ़िल्म देखती है, इस तरह से दर्शकों को परोसोगे तो सिवाय गलियों के अलावा कुछ हासिल नही होंगा.   
 
पुष्कर ओझा