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घायल वंस अगेन से उतने घायल नही हो पाएँगे (स्टार 3)

                26 साल पहले फ़िल्म घायल पर्दे पर नजर आई थी|, और हिट रही|  फ़िल्म घायल वंस अगेन उस फ़िल्म की आगे की कहानी को लेकर आई है| बेशक़ सन्नी देओल के चाहने वालों के लिए ऐक्शन उनके डायलॉग बोलने की अदायगी, और सन्नी की अंगारे बरसाती आँखें नजर आयेंगी|
             इस बार सन्नी ने युवा वर्ग को जोड़ने के लिए चार युवा चेहरे को चुना है| थोड़ी निराशा जनक लगी है| सन्नी इस बार थोड़े कुल नजर आ रहे है उनके दिल में आज भी वही जज्बा है अन्याय के प्रति लड़ने का| इसी कारण अजय मेहरा ( सन्नी देओल) खबरों की दुनिया में उतर गए है| उनका समाना होता है एक ऎसे बिज़िनेस मैंन से जो अहंकारी, भ्रष्ट राजनीति में अच्छी पकड़ वाला है|
 कॉलेज के यह  चार युवा एक दिन  रिटायर्ड पुलिस अफसर (ओम पुरी) की हत्या के गवाह हो जाते हैं। पर बिजनेस और राजनीति में शिखर तक पहुंचे हत्यारे अब इन्हें भी खत्म करना चाहते हैं। यही अजय उन  बच्चो की ढाल बन सामने खड़े होते है|
             फिल्म अकेले सनी के कंधों पर है। विलेन उनके सामने बलवंत राय जैसा नजर नही आया| यह फिल्म की कमजोर कड़ी है। ऐक्शन दृश्य जरूर आकर्षक हैं और कहानी में कहीं-कहीं ट्विस्ट रोचक लगते हैं। फिर भी काफी कुछ ऐसा है जिसमें नई सोच का अभाव साफ नजर आ रहा है। सोहा अली खान प्रभावित करती हैं। लेकिन मीनाक्षी जैसी नही| फिल्म का इमोशल पक्ष संभालने में उन्होंने कोई कसर बाकी नहीं रखी। वही टिस्का चोपड़ा भी अपनी भूमिका में फिट हैं। सनी को इस फिल्म के लिए अपनी ही तरह एक मजबूत टीम की जरूरत थी। जो इस बार शायद नजर नही आई| समय के साथ सिनेमा में कहानी कहने के अंदाज और दर्शकों का विकास हुआ है। तकनीकी पक्ष के साथ इस बात पर भी ध्यान दिया जाता तो फिल्म और बेहतर होती।

 

पुष्कर ओझा |