वैसे इस हफ़्ते की फिल्मो की समीक्षा करने का मन बिलकुल नहीं हैं उसके पीछे कारन भी यह है की इन फिल्मो की समीक्षा कर के भी कोई फायदा नहीं है, इस हफ्ते कई फिल्मे रिलीज़ हुई उनके मुख्य लाली की शादी में लड्डू दीवाना, ब्लू माउंटेन और मिर्ज़ा जूलिएट | आज हम मिर्ज़ा जूलिएट की समीक्षा कर रहे है, यह फिल्म की बात करे तो एक प्रेम कहानी हैं यह कहानी पहले भी देख ही चुके हैं |
फिल्म : मिर्ज़ा जूलिएट
निर्देशक : राजेश राम सिंह
कास्ट : दर्शन कुमार, पिया बाजपई, प्रियांशु चटर्जी, चंदन रॉय सान्याल
श्रेणी : रोमांटिक ड्रामा
स्टार : १/५
कहानी की बात करे तो धर्मराज शुक्ला (प्रियांशु चटर्जी) की बहन जूली शुक्ला (पिया बाजपेयी) अपने तीनों भाइयों की चहेती है। जूली का बड़ा भाई धर्मराज शुक्ला अपनी बहन के लिए कुछ भी कर सकता है और यही हाल जूली के दूसरे भाइयों नकुल और भीम का भी है। जूली के तीनों भाइयों का शहर में दबदबा है। सभी भाइयों ने बचपन से जूली को राजकुमारी की तरह पाल-पोसकर बड़ा किया है। उनका कुछ असर जूली में भी आ गया है, जूली भी कुछ ज्यादा ही बिंदास और मुंहफट है। जूली के भाइयों ने अपनी बहन की शादी शहर के दबंग सत्ता तक पहुंच रखने वाले नेता, विधायक के बेटे राजन (चंदन रॉय सान्याल) के साथ तय कर दी है। जूली इस शादी के पक्ष में नहीं, लेकिन अपने भाइयों की खुशी की खातिर खुलकर शादी का विरोध भी नहीं कर पा रही। एक दिन राजन, जूली से जबरन संबंध बनाता है। जूली राजन के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराना चाहती है, लेकिन यहां उसके अपने भाई भी जब उसका साथ नहीं देते। ऐसे में मिर्जा (दर्शन कुमार) जूली का साथ देता है। मिर्जा दिल ही दिल जूली से प्यार करता है। जुली ने मिर्जा के साथ वक्त बिताया और उसके साथ रिश्ते भी बनाए, लेकिन मिर्जा को जब पता चला जूली की शादी राजन के साथ होने वाली है तो उसने जूली से दूरियां बनाने का फैसला कर लिया। कुछ अर्से बाद जूली को भी मिर्जा से सच्चे प्यार का एहसास होता है। और फिर वही होता हैं जो अमूमन फिल्मो में नज़र आता हैं |
अभिनय की बात करते हैं जूली शुक्ला के किरदार को पिया बाजपेयी ने अपनी ओर से बेहतरीन बनाने की अच्छी कोशिश की है। दर्शन कुमार उतने सटीक नहीं बैठे | फिल्म में धर्मराज बने किरदार में प्रियांशु चटर्जी खूब जचे हैं।
निर्देशन की बात करते हैं डायरेक्टर राजेश राम सिंह की बेशक स्क्रिप्ट पर पकड़ अच्छी बावजूद फिल्म के सीन पिरोने में कमजोर नज़र आये, भोजपुरी भाषा का प्रयोग और नेपाल के लोकेशन बेहतरीन पर कहानी लापता हैं कब कौन से सीन आये इसे देख हैरान रह जायेंगे साथ ही अगला सीन किया होंगे यह आपको पहले ही समाज में आ जाएगा |
संगीत की बात करे तो कोई ऐसा गाना नहीं है, जो लगे की खास हो, वैसे फिल्म में कई गाने हैं |
इस फिल्म में देखने वाली कोई ऐसी बात नहीं है फिर भी आप दर्शक है आप ही तय करे |
पुष्कर ओझा