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चार्ली के चक्कर में की कहानी उलझी हुई.. (स्टार 2)

            मनीष श्रीवास्‍तव की ‘चार्ली के चक्‍कर में’  मुंबई के 15 दिनों के भीतर घटी 5 लोगों सैम (अमित सयाल), दीपक उर्फ डिप्स(आनंद तिवारी), नीना (मानसी रच), पैटी (आंचल नन्द्रजोग) और जीवन (निशांत लाल) की कहानी है, इनकी जिंदगी में अपराध,ड्रग,गैरकानूनी हरकतें और फिल्‍मों के अधूरे सपने हैं, और अचानक से एक दिन ऐसा हादसा हो जाता है जिसकी वजह से ये सब फंस जाते हैं. और इस  केस की  जांच पुलिस अफसर संकेत पुजारी (नसीरुद्दीन शाह) कर रहे हैं, कहते है की यह मुंबई शहर चकाचौध  ऊपर से जरूर नजर आता है पर भीतर से यह खोखला और एक अलग दुनिया भी है| इस शहर में यह जान पाना मुश्किल है की कौनसी गल्ली अपराध से परे है और कौनसी गल्ली में अपराध ही अपराध है| यह फ़िल्म भी इसी का तानाबाना बुना गया है|
         फिल्‍म में ढेर सारे नए कलाकार हैं। पर  वे जाहिर करते हैं कि वे मिले हुए मौके के प्रति गंभीर हैं।  फिल्‍म में किरदारों की संख्‍या ज्‍यादा है और कहानी में काफी उतार चढ़ाव है| अपराध की दुनिया पर वैसे तो कई फिल्में बनी है हा उनसे यह अलग फ़िल्म है कहाँ सटे है पर डायरेक्टर मनीष असफल भी नजर आए| वजह भी है की कहानी उलझी हुई है, जिससे घटनाएँ ठीक से प्रस्तुत नही हो पाई है,  हम यह सोचने पर विवश हो जाते हैं की अगले पल क्या होने वाला है. फिल्म इंटरवल से पहले थोड़ी धीमी रहती है लेकिन इंटरवल के बाद अच्छी रफ्तार पकड़ लेती है. फिल्म की विशेष बात है इसकी कास्टिंग किरदार के हिसाब से एकदम सही है|
 
पुष्कर ओझा