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नक्सली की दुनिया का अनदेखा चेहरा है 9'ओ क्लॉक : स्टार्स 1

        निर्माता गौरव शंकर की फिल्म 9'ओ क्लॉक दरअसल नक्सल की समस्या का असली चेहरा हमारे सामने लाती है तो साथ ही फिल्म मनोरंजन के लिहाज से  कहानी भी सस्पेंस और नस्लवाद के ताने बाने को साथ में रखती है। बॉलीवुड में ऐसी कई फिल्मे आयी है जिसमे नक्सल को दिखाया गया है लेकिन फिल्म   9'ओ क्लॉक बताती हैकि की दरअसल आज भी देश  के कई हिस्सो में शिक्षा , प्रश्न और  वकास का नहीं होना ही नक्सल का मुख्य कारन है फिल्म अमीरो द्वारा गरीबो का दमन और असाn माजिक तत्वो की वजह से भी नक्सल समस्या सिर्फ बढ़ती जा रही है 
             फिल्म ९ओ क्लॉक की कहानी शुरू होती है जब कॉलेज़ के १० युवाओ का ग्रुप  घने जँगलो में  बायो डीजल की रिसर्च और  स्टडी प्रोजेक्ट को पूरा करने जाता है कॉलेज के युवाओ का अल्हड रोमांस फिल्म की कहानी को कुछ देर के लिए रोकता जरूर हैकि लेकिन अमूमन कालेज के दिनों में लोग इस तरह के मौज मस्ती के दिनों को एन्जॉय करते है कहानी में ट्विस्ट तब आता हैकि जब रिसर्च टुअर के मुखिया प्रोफ़ेसर रातोरात गायब हो जाते है ,  और फिर इस ग्रुप का सामना जंगल के नक्सल के मुखिया देवा से होता है , देवा की कहानी बहुत दर्दनाक है बन्दुक से शासन के खिलाफ लड़ाई की  उनकी कहानी में बहुत दर्द है तो जंगल में अवैध कारनामे करनेवाला नसीम (अरुण बक्शी ) के इरादे नेक नही है कहानी के तीन प्रमुख हिस्सो में बट जाती है लेकिन कालेज ग्रुप में कोई ख़ास है जो सबको चौक देता है।  उनके इस इस जंगल की खोजी यात्रा को कभी न भूलनेवाली यात्रा बना देता है  जिसमें कई लोगो की जिंदगी ख़तरे में है        नक्सवाद की शुरुवात हुई तक नक्सल से जुड़े लोग एक ख़ास मकसद के लिए लड़ते थे जो सामजिक मुद्दों से जुड़ा था  लोग बेईमान जमींदारों से लड़ते थे लेकिन आज नक्सल वाद का चेहरा अलग है जैसे मैं फिल्म में नसीम का किरदार निभा रहा हूँ आज का नक्सलवाद आधुनिक पीढ़ी को नष्ट कर रहा है ऐसा लग रहा है की जैसे नयी पीढ़ी की जड़ो में एसिड डाला जा रहा है