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फ़िल्म समीक्षा : फैंटम (स्टार 2)

              26/11 मुंबई पर दस आतंकियों ने हमला किया था, वह मुंबई में समुन्द्र के रास्ते से घुसे और 166 लोगों को मौत के घाट उतार दिया| आज आठ साल होने के बावजूद हमले के मास्टरमाइंड आजाद व बेखौफ जी रहे हैं। 26/11 हमले के जिम्मेदार लोग कौन हैं? उन्होंने कैसे उस हमले को अंजाम दिया था। जिस के लिए तथ्यों की तलाश एस. हुसैन जैदी की किताब 'मुंबई एवेंजर्स' से की गई है। कबीर खान की फैंटम की कहानी का केंद्र बिन्दु भी यही है। फिल्म में कुछ सत्य घटना है तो कुछ फिक्सन है, दानियाल खान  एक बहादुर व देशभक्त हिंदुस्तानी फौजी है, पर एक गलतफहमी के चलते उस पर कायर और अपने पोस्ट को छोड़ के भाग जाने का आरोप लगता है। उसके चलते उसके पिता तक उससे नाराज हैं। दानियाल खान पहाड़ी इलाके में एकाकी जीवन जी रहा है| मुंबई में 26/11 हमलों के चलते भारतीय गुप्तचर एजेंसी रॉ के अधिकारी बड़ी बेचैन हैं। आठ साल होने के बावजूद हमले के मास्टरमाइंड आजाद व बेखौफ घुम रहे हैं। अधिकारी उन्हें ठिकाने लगाना चाहते हैं ताकि आतंकीयों को सबक मिल जाए| जैसे अमेरिका ने घुसकर लादेन को खत्म किया वैसा हम क्यू नही कर सकते | रॉ एजेंट समित मिश्रा पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को सबक सिखाने की बात रखता है, जिसे पीएमओ से हरी झंडी मिलना नामुमकिन है। बाद में अधिकारी अपने स्तर पर उस प्लान को अमलीजामा पहनाते हैं। दानियाल खान का नाम सामने आता है उसे ढूंढा और मनाया जाता है। लंदन में पूर्व रॉ एजेंट नवाज मिस्त्री की मदद से पहले लंदन में लश्कर-ए-तैयबा के एजेंट को मारा जाता है, फिर वह शिकागो में कैद डेविड हेडली को ठिकाने लगाता है। आखिर में वे आईएसआईएस को जरिया बनाते हुए सीरिया व फिर पाकिस्तान रवाना होते हैं, जहां उन्हें हारिज सईद को खत्म करना है। 
          'फैंटम' के संग कई समस्याएं आड़े आई हैं। फ़िल्म की पटकथा को ठीक से पर्दे पर ना उतरना लंदन, शिकागो, सीरिया के वॉर जोन तथा पाकिस्तान में आतंकियों से लड़ रहे हैं, लेकिन इतनी आसानी से उनका सफाया कर रहे हैं कि वह देख हंसी आनी ही आनी है दानियाल खान जिस तरीके से शिकागो में कैद डेविड हेडली को ठिकाने लगता है, लाहौर में घुसकर लश्कर-ए-तैयबा जैसे स्केल के बड़े नेता पर दिन-दहाड़े गोलीबारी करता है और वहां की पुलिस, फौज व गुप्तचर एजेंसी असफल होती है। कबीर खान को सीखने की आवश्कता है कि दर्शकों को कैसे अपनी काल्पनिक कथा पर यकीन दिलाया जाए। अब यहा न सैफ अलि खान अपने अभिनय से और न कैटरीना कैफ अपने अभिनय से प्रभाव डालने में सक्षम हुए दोनों की भूमिका को मेहनत व शिद्दत की अवश्कता नजर आई| हा फ़िल्म में डेविड हेडली व हारिज सईद हूबहू जरूर लगते है| कबीर खान की फ़िल्म में पाकिस्तान नजर आता ही है| उनकी हाल फिलहाल रिलीज हुई फ़िल्म बजरंगी भाईजान में भी पाकिस्तान नजर आया पर यहा सलमान का साथ तो था ही साथ ही दोनों मुल्कों को जुड़ने की बात पर जोर दिया था और फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए| उनकी फ़िल्म न्यू यॉर्क में आतंकवाद नजर आया, एक था टायगर में गुप्तचर का प्रेम दर्शाने की कोशिश की यहा भी उन्हें सलमान का साथ मिला था, अब यह कह सकते है कि सलमान जैसे कलाकारों के साथ ही कबीर अच्छी फ़िल्म कर लेते है
 
 
   पुष्कर ओझा