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फ़िल्म समीक्षा :- हमारी अधूरी कहानी

फ़िल्म समीक्षा :- हमारी अधूरी कहानी (स्टार 2.5)

मोहित सूरी की पिछली दोनों फिल्में 'आशिकी 2' और 'एक विलेन' बॉक्स आफिस पर जबर्दस्त हिट रहीं। मोहित सुरी बेहद संवेदनशील और गंभीर मुद्दे पर बनी फिल्म हमारी अधूरी कहानी' से नारी प्रताड़ना जैसे कई सीन इस क्लास को फिल्म से दूर रख सकते हैं। महेश भट्ट की रियल लाइफ स्टोरी को अजय देवगन, पूजा भट्ट स्टारर फिल्म 'जख्म' के बाद एक बार फिर अलग तरीके से पेश करने का चैलेंज जो उठाया था। इमरान और विद्या बालन की यह फिल्म भी महेश भट्ट की उन्हीं पुरानी कड़वी यादों को फिर से ताजा करने की पहल है, 
फाइव स्टार होटेल्स की चेन के मालिक आरव (इमरान हाशमी) को अपने एक होटेल में काम करने वाली वसुधा प्रसाद (विद्या बालन) से प्यार होता है, एक प्लानिंग के तहत आरव के इशारे पर उसी फ्लोर से आग का धुआं निकलता है, जहां आरव ठहरा है, होटेल का बाकी स्टाफ और मैनेजर होटल के फ्लोर से धुंआ उठते देख भाग निकलते हैं, लेकिन वसुधा को फिक्र है उस फ्लोर पर ठहरे वीआईपी गेस्ट को बचाने की। यहां आकर वसुधा को पता चलता है यह गेस्ट और कोई नहीं, बल्कि होटेल का मालिक आरव है। आरव उसी वक्त वसुधा को डबल सैलरी के साथ अपने दुबई के एक होटेल में काम करने का ऑफर देता है, लेकिन वसुधा फैमिली प्रॉब्लम की बात कहकर इस ऑफर को ठुकरा देती है। घर आकर जब वसुधा को पता लगता है उसका बेटा पुलिस थाने में है तो वह झट पुलिस स्टेशन पहुंचती है। यहां आकर उसे पता चलता है कि उसका 5 साल से लापता पति हरि पांडे (राजकुमार रॉव) लापता नहीं है, बल्कि बस्तर में सक्रिय एक आंतकी गिरोह के साथ मिला हुआ है, और उसने अपहृत अमेरिकी नागरिक की हत्या की है। पुलिस के पास हरि द्वारा अमेरिकी नागरिक को गोली से मारने का विडियो मौजूद है। पुलिस से हरि की असालियत जानने के बाद वसुधा अपने बेटे सांज के साथ दुबई जाने का फैसला करती है। आरव अब धीरे-धीरे वसुधा को चाहने लगता है वसुधा से इकरार भी करता है, लेकिन वसुधा शादी के लिए राजी नही है। आरव शिमला अपनी मां से मिलाने वसुधा को भी उसके साथ ले आता है। आरव की मां की बातें सुनने के बाद वसुधा को लगता है उसे भी अपनी नई जिदंगी शुरू करने और बेटे सांज के भविष्य की खातिर आरव से शादी कर लेनी चाहिए। 
यही से फ़िल्म में टर्निंग पॉइंट आता है वसुधा जब मुंबई में अपने घर पहुंचती है तो यहां उसका सामना अपने पति हरि से होता है। पुलिस से बचते-बचाते हरि बहुत बुरे हाल में यहां पहुंचा है। उसे नहीं मालूम कि वसुधा के घर के बाहर पुलिस ने उसी के लिए नाकेबंदी कर रखी है। हरि को जब वसुधा और आरव के बारे में पता चलता है तो वह गुस्से में पागल होकर घर से बाहर निकलकर खुद को पुलिस के हवाले करके उस अपराध का इल्जाम भी अपने सर ले लेता है जो उसने नहीं किया। कोर्ट से हरि को फांसी की सजा मिलती है। आरव उसे बचाने के लिए मंत्री से लेकर उस जंगल तक पहुँच जाता है जहां हरि के निर्दोष होने के सबूत है. 
मोहित सूरी का निर्देशन औसत है। उनकी पुरानी फिल्मों कि याद दिला ही देता है,इंटरवल से पहले फिल्म की रफ्तार बेहद धीमी है, हा इमरान हाशमी ने बेहतरीन काम किया है। वसुधा के रोल में विद्या बालन ने भी अपनी प्रतिभा साबित की है राजकुमार राव की एंट्री के बाद कुछ रफतार पकड़ती है। राजकुमार राव को बेशक कहानी में कम फुटेज मिले, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करायी। फिल्म का संगीत पहले से म्यूजिक लवर्स में हिट है।

पुष्कर ओझा