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फिल्‍म समीक्षा : दिल धड़कने दो

फिल्‍म समीक्षा : दिल धड़कने दो (3.0 स्‍टार)
 
हर दिल की अपनी ही ताल है,
अपना ही एक राग है
हर दिल की अपनी धड़कने 
अपनी ही एक आग है
जज़्बात पिघले पिघले है तो क्यू न हो
खयालत बेहके बेहके है तो क्यू न हो
हर दिल धड़कने दो 
दिल धड़कने दो................
               
                 इस फ़िल्म की कहानी इस गीत में जावेद अख्तर ने पिरो दी है कमल मेहरा के परिवार में उनकी बेटी आएशा, बेटा कबीर, बीवी नीलम और पालतू कुत्ता प्लूटो है। कमल और नीलम की शादी के 30 साल हो गए हैं। कमल मेहरा बाजार में गिर रही अपनी साख को बचाने और जोड़-तोड़ के लिए सभी मित्रों को क्रूज ट्रिप के लिए आमंत्रित करते हैं। इस समुद्र यात्रा में वे तुर्की, स्पेन, ट्यूनिशिया और इटली के बंदरगाहों से गुजरते हैं। जोया अख्तर ने दर्शकों को क्रूज ट्रिप के साथ ही उन सभी देशों की खूबसूरत वादिया भी दिखाई है। यह कहानी प्लूटो ही सुनाता है। वही सभी किरदारों से हमें मिलाता है। जोया अख्तर ने बहुत खूबसूरती से सारे देशों के शहरों को कहानी में पिरोया है।
       'दिल धड़कने दो' एक साथ बाहर और भीतर की यात्रा है। क्रूज पर चंद घटनाओं और प्रसंगों के जरिए हम किरदारों के मनोभावों और स्थितियों से भी परिचित होते हैं। अमीर परिवारों की विसंगतियों को अच्छी तरह उकेरा है। ऊपर से खुशहाल दिख रहे ये किरदार वास्तव में घुट रहे हैं, लेकिन दिखावे के लिए सभी ने झूठ ओढ़ लिया है। मेहरा परिवार के सदस्यों को ही देखें तो वे ग्रंथियों के शिकार हैं। डिस्फंक्शनल फैमिली है उनकी। कमल मेहरा 'सेल्फ मेड' उद्योगपति हैं।  उनके लिए वही ठीक और सही है, जो वे सोचते हैं। उनकी बेटी आएशा और बेटा कबीर भी क्लाइमेक्स के पहले तक उनके फैसलों को स्वीकार करते रहते हैं। एक वक्त आता है, जब भावनात्मक विस्फोट होता है। इस विस्फोट में उनके ओढ़े चेहरे बेनकाब होते हैं। सभी के दरके दिल दिखाई देते हैं। फैमिली मेलोड्रामा होता है और फिर एक खुशहाल परिवार साथ-साथ दिखाई पड़ता है 
        ‘दिल धड़कने दो’जोया अख्तर की पिछली फिल्मों से कमजोर है। जोया अख्तर, रीमा कागती और फरहान अख्तर ने किरदारों को भावनात्मक ज्वार दिया है। सभी अपनी बातें जोरदार तरीके से कहते हैं। आएशा और कबीर अपना पक्ष रखने के साथ उस पर टिके रहते हैं। औरतों की दो पीढि़यों में पिछली पीढ़ी की मजबूरी और नई पीढ़ी की आजादी भी जाहिर होती है। कलाकारों में अनिल कपूर का काम उल्लेखनीय है। इस फिल्म में रणवीर सिंह और प्रियंका चोपड़ा को पर्याप्त दृश्य और प्रसंग मिले हैं। प्रियंका चोपड़ा सक्षम अभिनेत्री होने का सबूत दे रही हैं। रणवीर सिंह को मामूली मसखरा न समझें। फिल्म का सामूहिक गीत पूरी मस्ती और मनोरंजन देता है। रणवीर सिंह और अनुष्का शर्मा के बीच के रोमांटिक गानों में रोमांस कम है। 
अवधि- 170 मिनट 
 
पुष्कर ओझा