इन दिनों बॉलीवुड में बायोपिक फिल्मों का एक बड़ा दौर शुरू हुआ लगता है. असल जिंदगी की कहानियों को बड़े पर्दे पर दिखाया जा रहा है और इसी बीच डायरेक्टर सौमेंद्र पाधी ने सबसे कम उम्र के मैराथन रनर बुधिया सिंह के ऊपर फिल्म बनाई है।
कहानी की बात करे तो यह कहानी ओडिशा राज्य के एक 5 साल के छोटे बच्चे बुधिया सिंह (मयूर पटोले) की है, जिसे उसके कोच बीरंची दास (मनोज वाजपेयी) ने दौड़ने के लिए तैयार किया है। बीरंची दास एक अकादमी चलाता है और एक दिन किन्ही कारणों से वो बुधिया को अपने पास ले आता है और उसको अपना शागिर्द बनाता है। बुधिया ने 5 साल की उम्र में 48 मैराथन दौड़ने का कीर्तिमान भी हासिल किया. लेकिन बहुत सारे राजनीतिक दबाव की वजह से बुधिया की कहानी एक नया रंग लेती है। निर्देशन कमाल का हैं साथ ही फिल्म की स्क्रिप्ट काफी इमोशनल है जो फिल्मांकन के दौरान आपको सोचने पर विवश करती है. फिल्म में कई ऐसे वाकये भी आते हैं जहां आप खुद को इस कहानी से कनेक्ट कर पाने में ज्यादा सक्षम हो पाते हैं। फिल्म काफी रियल लगती है। कहानी को बड़े ही अच्छे ढंग से दर्शाया गया है।
अभिनय की बात मनोज वाजपेयी हो तो क्या करे मनोज ने एक बार फिर से बेहतरीन अभिनय किया है बुधिया सिंह का किरदार निभा रहे मयूर पटोले को लगभग 2000 बच्चों के ऑडिशन के बीच से चुना गया था और यकीनन उसने कमाल का काम किया है। सह कलाकार तिलोत्तमा शोम, छाया कदम, श्रुति मराठे, गजराज राव का भी काम अच्छा है।
संगीत वाकाय कमाल का हैं , म्यूजिक कहानी के साथ-साथ चलता है, खासकर बैकग्राउंड म्यूजिक काफी उम्दा हैं ।
बायोपिक फिल्म में एक और बायोपिक फिल्म कमाल की नज़र आई ।
पुष्कर ओझा