Khabar Cinema

बेरंग त्रिकोण प्रेम कहानी और आज़ादी की जंग साथ ही लडखडाती कहानी फिल्म रंगून (स्टार 2.5 )

 फिल्म    :     रंगून 
कास्ट : कंगना रनोट, शाहिद कपूर, सैफ अली खान, रिचर्ड मैकेबे
निर्देशक    : विशाल भारद्वाज
निर्माता     : साजिद नाडियाडवाला, विशाल भारद्वाज
संगीत : विशाल भारद्वाज
वर्ग           : वॉर ड्रामा
स्टार   :              2.5/5   
         विशाल भारद्वाज की फिल्म  हैदर ने कई  अवार्ड ही नहीं बल्कि नेशनल अवार्ड भी  पाने में आगे रही यह फिल्म  शेक्सपीयर के लेखन से प्रेरित होकर  बनाई थी, विशाल ने इससे पहले भी कई फिल्मे बनाई हैं,  और इस बार आज़ादी के पहले की जंग और प्रेम कहानी को परदे कोशिश की है वह भी उस दशक के साथ पर लाने  फिल्म  'रंगून' में  कैसी बनी है यह फिल्म, आइए जानते हैं...
 बात करते हैं कहानी फिल्म की कहानी 1943 पर आधारित  है, तब  ब्रिटिशर्स का भारत पर शासन था तब  मिस जूलिया (कंगना रनोट)सुप्रसिद्ध अभिनेत्री हुआ करती थी। जो प्रोड्यूसर रुसी बिलिमोरिया (सैफ अली खान) के इशारों पर चलती थी।क्योकि रुसी ने उसे उसकी माँ से ख़रीदा था साथ ही जवानी आते आते उसे रुसी से प्यार भी हो गया था ,  ब्रिटिश सेना का मेजर जनरल हार्डिंग (रिचार्ज मैकेबे), रुसी से बात करके जूलिया को भारत-बर्मा की सीमा पर तैनात सैनिकों के मनोरंजन के लिए ले जाता है और ट्रेन में जूलिया की सुरक्षा की जिम्मेदारी जमादार नवाब मलिक (शाहिद कपूर) के हाथों में होती है, जिसे शुरुआत में जूलिया बिलकुल पसंद नहीं करती हैं। लेकिन धीरे-धीरे ऐसी परिस्थितियां आती हैं कि दोनों के बीच में रोमांस पनपने लगता है। तभी रुसी को नवाब और जूलिया के बीच बढ़ती नजदीकियों की भनक लगने लगती है। कहानी में कई सारे ट्विस्ट टर्न्स आते हैं और आखिरकार एक अजीब से क्लाइमेक्स के साथ फिल्म का अंत होता है।
बात करते है निर्देशन की  फिल्म का निर्देशन  हमेशा की तरह काफी अच्छा है और विशाल भारद्वाज की रियल लोकेशन की शूटिंग भी काफी दर्शनीय है। युद्ध, प्रेम प्रसंग और लोकेशन्स सहित फिल्म में कई बेहतरीन चीजें देखने को मिलेगी। फिल्म में 40 के दशक के हिसाब से बारीकियों का ध्यान बखूबी रखा गया है। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी कमाल की है। आपने सुभाष घई की फिल्म १९४२ अ लव स्टोरी देखी होंगी यह फिल्म देख शायद आपको वह फिल्म दुबारा आँखों के सामने आ सकती हैं । 
अभिनय की बात करते हैं  कंगना रनोट और उनकी परफॉर्मेंस को देखना एक बार फिर से बहुत ही उम्दा है और पूरे फिल्म के दौरान उनकी मौजूदगी एक ट्रीट जैसे लगती है, ठीक है कही कही ओवर एक्टिंग भी करती नज़र आई । वहीं, सैफ अली खान ने भी ठीक ठाक  काम किया है। शाहिद कपूर और उनकी अदायगी ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि फिल्म दर फिल्म उनका काम और भी सहज हो रहा है। मेजर जनरल का किरदार निभाने वाले एक्टर रिचर्ड मैकेबे ने फिल्म में चार चांद लगाए हैं। 
संगीत की बात करते हैं तो आपने अगर ४० के दशक के गाने सुने हो तो आपको इस फिल्म में थोड़े बहुत वही तर्ज सुनने को मिल सकता हैं 
 विशाल की फिल्मे पसंद करते हो तो आपको यह फिल्म पसंद आएँगी अन्यथा यह फिल्म उतनी रंगून नहीं हैं । 
 
पुष्कर ओझा