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बेहतरीन कलाकार पर कमजोर कहानी फिल्म बेवॉच (स्टार 2.5/5)

      दीपका पादुकोण  के बाद प्रियंका चोपड़ा का हॉलीवुड प्रोजेक्ट आखिर आ ही गया, प्रियंका को हॉलीवुड फिल्म 'बेवॉच'  से काफी उम्मीद भी थी, और होंगी भी क्यों नहीं आखिर हॉलीवुड में पहला कदम जो हैं | 
 
फिल्म : बेवॉच
श्रेणी : कॉमेडी ड्रामा
कास्ट : ड्वेन जॉनसन, जैक एफ्रॉन, प्रियंका चोपड़ा, एलेग्जेंड्रा डड्डारियो, जान बास, डेविड हेसेलाफ
निर्देशक   : सेथ जॉर्डन
निर्माता  : ईवान रिटमैन , माइकल बर्क, डगलस स्वार्ट्ज
रेटिंग :  2.5 /5 
 
 
बेवॉच का अर्थ जहा तक मैं समझता लाइफ गार्ड्स समुद्र के किनारे जो हमारी रक्षा और सुरक्षा के  लिए तत्पर रहते हैं, यह फिल्म भी उन्ही लाइफ गार्ड्स  पर आधारित हैं | 
    कहानी की बात करते हैं लाइफ गार्ड्स हेड मिच (ड्वेन जान्सन) और उनकी टीम की हैं, जो कैलिफोर्निया के समुद्र के किनारे अपना कर्तव्य  निभाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं | कहानी के एक मोड़ में मिच को झटका लगता हैं, जब उनकी टीम में गोल्ड मेडल विनर  मैट ब्राडी (जैक एफ्रान)  को शामिल किया जाता हैं, क्योकि मैट भले ही गोल्ड मेडेलिस हैं पर अपने काम के प्रति काफी लापरवाह भी हैं, पर फिल्म के साथ यह नज़र आता हैं की मैट की सभी से दोस्ती हो जाती हैं , कहानी का असली खेल तब शुरू होता हैं जब समुन्द्र किनारे पर एक बच्चे को ड्रग्स का एक पॉकेट  मिलता हैं जो मिच के हाथो लगता हैं और मिच को शक नहीं यकीन होता हैं की यह काम किसी और का नहीं बल्कि बिजनेस वुमन विक्टोरिया लीड्स(प्रियंका चोपड़ा) का ही हैं | एक लाइफ गॉर्डस कैसे ड्रग्स और विक्टोरिया लीड्स का सामना करता हैं उनकी टीम को किन किन तकलीफो का सामना करना पड़ता हैं इन सब के लिए आपको बेवॉच देखनी होंगी | 
       निर्देशन की बात करते हैं समुन्द्र को किसी ने खूबसूरती से पिरोया तो वह सिर्फ हॉलीवुड ही हैं, निर्देशक सेथ जॉर्डन की तारीफ करनी होंगी समुन्द्र के अंदर का भाग  हो या उनके आस पास का इलाका या फिल्म समुन्द्र तट बेहतरीन नज़र आया, इसमें सिनेमेटोग्राफी और कैमरामेन की भी तारीफ करनी होंगी | 
        अभिनय की बात करते हैं  ड्वेन जॉनसन को यू ही नहीं सुपरस्टार कहा जाता हैं, वह अपने किरदार में मानो घुस ही गए हो, बेशक जैक एफ्रॉन का भी अभिनय सरहानीय हैं, कमजोर नज़र आए तो प्रियंका चोपड़ा के सीन लगता है उन्हें और भुनाने की जरुरत थी, अन्य कलाकरों का भी अभिनय दिलचस्प हैं | 
      फिल्म में कई कमजोरियां हैं जैसे की उसकी कहानी, जो शायद पहले भी कई बार नज़र आ चुकी हैं, अगला सीन का अनुमान आप पहले ही लगा सकते हो, खासतौर पर फिल्म का क्लाइमेक्स तो बहुत ही कमजोर नज़र आया | 
 
 
पुष्कर ओझा