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बेहतरीन चाल वजीर की..... (स्टार 3)

                कहानी है एटीएस ऑफिसर दानिश अली (फरहान अख्तर)  अपनी पत्नी रुहाना अली (अदिति राव हैदरी) और बेटी के साथ जिंदगी बिताता रहा है. और कहानी एक नया मोड़ लेती है जब दानिश की बेटी आतंकवादियों की गोली का शिकार हो जाती है| और फिर   दानिश की लाइफ में पंडित ओंकारनाथ धर (अमिताभ बच्चन) की एंट्री होती है जो शारीरिक रूप से 'दिव्यांग' हैं और इनकी लाइफ में भी ऐसी ही घंटा घट जाती हैं, जिसकी वजह से वो एक दूसरे की मदद करने पर विवश हो जाते हैं. उनका मुकाबला दबंग मंत्री एजाद कुरैशी (मानव कौल) से भी होता है. सिलसिलेवार घटनाओं के बीच कई अहम बातों का खुलासा भी होता है और शतरंज के खेल का 'वजीर' एक निर्णायक मोहरा बनकर सामने आता है. अब वजीर की क्या है कहानी, इसका पता आपको इस थ्रिलर फिल्म को देखकर ही चलेगा. 
       आपने शतरंज खेल को कभी खेला या  कभी खेलते हुए भी देखा हो तो आप वजीर की अहमियत समज सकते है, अगर नही भी खेला ताभा भी  क्युकि फिल्म की स्क्रिप्ट को बड़े ही बेहतरीन अंदाज में शतरंज के खेल पर की गई है, किस तरह से एक प्यादा, आखिरी घर में जाकर वजीर बन जाता है, कैसे हाथी अपने सामने वाले सैनिक के धराशायी होते ही पागल हो जाता है, और घोड़े के साथ साथ ऊँट की चालें कितनी अहम होती हैं; ये सारी बातें इंसानो के रवैये के आधार पर दर्शायी गयी हैं. लेखक अभिजात जोशी ने विधु विनोद चोपड़ा की कहानी  को फिल्म की में तब्दील कर दिया जो की काफी मुश्किल काम जान पड़ता है. स्क्रिप्ट के साथ साथ इस फिल्म की रफ्तार काबिल ए तारीफ है , स्क्रिप्ट लेवल पर फिल्म का हरेक किरदार बखूब सजाया गया है.  मिल्खा हो या दानिश फरहान अख्तर ने एक बार फिर से बता दिया है की वो किरदार के भीतर किस तरह से घसने का प्रयास करते हैं और सफल भी हो जाते हैं, वही अदिति राव हैदरी का काम भी एक पत्नी के किरदार ठीक ही रहा उन्हें इतनी स्क्रीन नही दर्ह्स्य गया,  .फिल्म में कश्मीरी पंडित का किरदार निभा रहे अमिताभ बच्चन तो बच्चन साहब ही है उन्हें बस रोल मिल गया वहाँ फिट हो गए उस रोल के लिए, जिस तरह से उन्होंने किरदार का हाव भाव और लहजा पकड़ा है वो अद्भुत है.  अभिनेता 'मानव कौल' ने एक दबंग मंत्री के रूप में काफी सराहनीय काम किया है. नील नितिन मुकेश के साथ साथ फिल्म में फरहान अख्तर के दोस्त का किरदार निभा रहे अंजुम शर्मा ने भी सहज अभिनय किया है. जॉन अब्राहम का भी छोटा लेकिन अच्छा कैमियो रोल है.
फिल्म का गीत 'तेरे बिन', रिलीज से पहले ही हिट हो चुका है , 'मौला' 'तू मेरे पास' 'खेल खेल में' और 'अतरंगी यारी' वाले गीतों को भी फिल्म की रफ्तार के साथ बड़े अच्छे ढंग से पिरोया गया है.
            फ़िल्म की कमजोर कड़ी है तो सीन को समजा पाने में विफल रही है एक दो सीन तो लगते है की यह सीन समज के बाहर है, माना की डायरेक्टर बिजॉय नाम्बियार अपने अलग तरह के सिनेमा के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. उन्होंने 'शैतान' और 'डेविड' जैसी फिल्मों को डायरेक्ट किया है,बिजॉय ने निर्माता विधु विनोद चोपड़ा के आईडिया पर आधारित थ्रिलर फिल्म 'वजीर' को डायरेक्ट किया है. कही कही कमजोर हुए है अमूमन थ्रिलर में ऐसा हो भी जाता है| वजीर मेरे हिसाब से एक बार जरूर देखनी चाहिए|  
 
 
                                                            पुष्कर ओझा