कमजोर पटकथा किसी अच्छे विषय का भी कैसे बेडा गर्क कर सकती है यह बात फिल्म "बॉबी जासूस "में साफ़ दिखती हैं। इस फिल्म में आकर्षण के कई केंद्र है मसलन विद्या बालन का शानदार अभिनय और गेटअप ,हैदराबाद के खूबसूरत लोकेशन और थोड़ा हास्य लेकिन ना कहानी में कसावट है और ना ही फिल्म में जासूसी उभर कर आई है जबकि फिल्म का नाम और विषय इसी पर आधारित है। फिल्म की कहानी एक माध्यम परिवार में जन्मी बॉबी का है, जो जासूस बनना चाहती है लेकिन पिता खिलाफ है और माँ दोनों के बीच सुलह करते दिखती है। यहाँ तक बात ठीक थी लेकिन कही जासूसी का काम ना मिलने पर खुद अपनी एजेंसी खोलने पर फिल्म सिर्फ खिचती नज़र आती है। जबरदस्ती परिवार और रोमांस का ट्रैक समय को पार करने जैसा लगता है ,अगर थोड़ा जासूसी के ट्रैक को मजबूत किया जाता तो ये एक लाजवाब फिल्म होती। फिल्म में कलाकारों का अभिनय छोड़ दिया जाय तो फिल्म में ऐसी कोई बात नहीं जिसके बारे बात की जाए फिल्म के निर्देशक कहानी को अच्छे तरीके से पेश करने में पूरी तरह से असफल रहे हैं। स्टार - 1.5/5 धीरज मिश्र