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भ्रष्ट नेताओं को डमरू पर नचाती फिल्म मदारी (स्टार 3)

        हमारे देश में भष्ट्राचार आम बात हैं, ऊपर से लेकर निचे तक सभी खाते है, इन भष्ट्राचार के चलते कई हादसे भी होते हैं, शिकार होते है आम आदमी, अब यह उनकी किस्मत में लिखा होता है या उनका भाग्य ही ऐसा  होता हैं, हमें पता नहीं इन हादसों के पीछे किसका हाथ है, और किसे इतना टाइम है की वह इसकी तह तक जाए और कौन इसका जवाब देगा, निशिकांत कामत  की फिल्म मदारी  इन्ही सवालो का जवाब ढूढ़टी नज़र आती हैं । 
      कहानी की बात करे निर्मल कुमार (इरफ़ान खान) की हैं, जिसकी बीवी उसे छोड़ विदेश चली गई एक ८ साल का बच्चा है निर्मल अपने बच्चे के साथ खुश रहता है और अपनी ज़िन्दगी गुजर बसर करता हैं एक दिन एक हादसे में उसके बेटे की मृत्यु हो जाती हैं। अब इसकी जवाबदेही इसकी हैं ? यही से शुरू हुई मदारी की कहानी, निर्मल को सरकार से जवाब चाहिए , इसके लिए वह चीफ मिनिस्टर के बेटे को अगवा करता है और उसके बाद पूरा सरकारी तंत्र चीफ मिनिस्टर के बेटे का पता लगाने में लग जाता है । सरकार निर्मल को पकड़ पाने में सक्षम होती है क्या निर्मल कुमार को उसका जवाब मिलता हैं? आपको फिल्म देखनी होंगी 
       स्क्रिप्ट की बात करे तो स्क्रिप्ट अच्छी है पर मुझे फिल्म देखते वक़्त फिल्म  'अ वेनेसडे' की याद दिलाती हैं जिसमे नसीर साहेब भी... खेर  लोकेशन काफी अच्छी हैं, राजस्थान से लेकर पहाड़ो तक बारीक  से काम किया गया नज़र आता हैं । 
       अभिनय की बात क्या कर जब इरफान खान जैसे एक्टर हो, उनकी आँखों से ही पूरा सीन समाज में आ जाता हैं, उनके अभिनय की तारीफ करनी ही होंगी, साथ ही जिम्मी शेरगिल और विशेष बंसल के साथ अन्य कलाकारों का काम भी सरहानीय हैं । 
       फिल्म थोड़ी लंबी नज़र आई खासकर इंटरवल के बाद तो लगा और कितनी लंबी हैं, है क्लाइमैक्स उम्दा तरीके से निशिकांत ने पेश किया है, लबाई काम करते तो शायद और मजा आता । 
      संगीत की बात करे तो सुखविंदर सिंह की आवाज में 'दमा दमा दम दम डमरू'  फिल्म में कई बार आता हैं, जिसकी आवश्यकता भी लगती है सीन के मुताबीक ।  
       आप पहले भी इस तरह की फिल्म देख चुके हो जो शायद आपको पसंद भी आई हो, और आप इरफ़ान खान के प्रशंषक हो तो आप फिल्म देख सकते हैं । 
 
पुष्कर ओझा