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यकीन से यकीन उठ जाएगा 'ट्यूबलाइट' को देख (स्टार 2.5/5 )

      इंडिया चाइना का युद्ध के बारे में हम सब जानते हैं १९६० के दशक में यह युद्ध हुआ था, कबीर खान ने इस दशक की कहानी को दर्शाने की कोशिश की पर 
 
फिल्म : ट्यूबलाइट
श्रेणी : वॉर ड्रामा
निर्देशक : कबीर खान
निर्माता : सलमा खान,सलमान खान, कबीर खान
कास्ट: सलमान खान, सोहेल खान, जू जू, ओम पुरी, मेटिन रे टेंगू, मोहम्मद जीशान अयूब, शाहरुख खान
संगीत : प्रीतम
स्टार 2.5/5
 
         कहानी की बात करते हैं   दो भाइयों भरत सिंह बिष्ट(सोहेल खान) और लक्ष्मण सिंह बिष्ट (सलमान खान) की है।  पिता शराबी हैं, और ट्रक ड्राइवर एक दिन दुर्घटना में पिता की मृत्यु हो जाती है, यह सदमा माँ बरदास नहीं कर पाती तो वह भी मृत्यु।  लक्ष्मण थोड़ी देर से हर बात को समजता हैं दुनिया के लिए वह एक  ट्यूबलाइट हैं पर भरत के लिए नहीं , वक़्त बिता  दोनों साथ-साथ बड़े होते हैं और एक-दूसरे को बहुत चाहते हैं। भरत अपने भाई को जी जान से चाहता हैं, एक दिन खबर आती हैं की भारत सीमा पर चाइना ने हमला कर दिया हैं फाॅर्स की कमी के कारण यह  एलान होता हैं की जवान देश की सेवा के लिए आर्मी में भर्ती हो यह मौका भरत को भी मिलता हैं  भरत को आर्मी की तरफ से युद्ध लड़ने के लिए सीमा पर जाना पड़ता हैं, पर लक्ष्मण के कारन वह थोड़ा दुखी भी होता हैं, खेर कहानी आगे बढ़ती हैं इस तरफं लक्ष्मण युद्ध विराम हो तो भाई भरत के आने का इंतज़ार करता हैं, तो दूसरी तरफ भरत चीन की सेना से लड़ता हैं, लक्ष्मण को यकीन होता हैं की उसका भाई जरूर वापस आएगा, पर एक दिन खबर यह भी आती हैं की भरत शहीद हो गया, पर लक्ष्मण को इस बात पर विश्वास नहीं होता हैं, उसे तो बस अपने यकीन पर यकीन हैं की उसका भाई भरत लौट के आएगा, क्या भरत लौट के आता हैं क्या लक्ष्मण का यकीन यकीनन कामयाब होता हैं इसके लिए आपको फिल्म देखनी होंगी | 
         निर्देशक की बात करते हैं कबीर खान और सलमान की यह तीसरी फिल्म हैं एक था टाइगर, बजरंगी भाईजान और अब ट्यूबलाइट|  कबीर खान ने इस ईद को फीका कर दिया निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी, लोकेशंस भी  काफी अच्छे हैं पर कहानी को कहने में चूक गए, न युद्ध ठीक से नज़र आता हैं और न कहानी का दूसरा पहलू असर करता हैं, लगता है कबीर खान को यकीन  था  सलमान के साथ कुछ भी कर लो जनता पसंद कर लेंगी, अंग्रेजी में कहंते हैं कॉंफिडेंट अच्छा होता हैं पर ओवर कॉंफिडेंट अच्छा नहीं होता, यक़ीनन कबीर को ओवर कॉंफिडेंट हो गया जिस कारण फिल्म के कई सीन बोर करते हैं यहाँ तक क्लाइमेक्स में लगता है फिल्म ख़त्म हो गई पर नहीं २० मिनट तक और लम्बा खींच लिया, फिल्म की स्क्रिप्ट पर खास ध्यान देना था जो कबीर ने इस बार नहीं दिया | 
           अभिनय की बात करते हैं सलमान ने वाकय कमाल का अभिनय किया हैं, उनका मासूम चेहरे की मासूमियत नज़र आई, खटके हैं तो सोहैल खान,सोहैल को लगा की भाई के साथ फिल्म करूँगा तो लाइफ में एक हिट फिल्म तो शामिल हो ही जाएँगी पर वह तो सलमान को ही ले डूबे, फिल्म में स्वर्गीय ओम पूरी भी है जिनके बारे में क्या कहे, साथ ही  चाइल्ड आर्टिस्ट मेटिन ने बेहतरीन  काम किया है। चाइना की एक्ट्रेस जू जू का काम भी बेहतरीन है। मोहम्मद जीशान अयूब ने कबीले तारीफ अभिनय किया है और हा  करण अर्जुन यानि शाहरुख़ ने भी एक छोटा किरदार किया हैं | 
       संगीत की बात करते हैं रेडिओ गाना तो आप सुन ही चुके हो और पसंद भी आ रहा हैं एक दो ठीक ठाक गाने हैं, कबीर की खासियत हैं की वह फिल्म में गाने ठूसते नहीं है, गाने फिल्म की कहानी के साथ चलते हैं फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है।
       सलमान खान की फिल्म वीर देखी होंगी नहीं देखी तो ट्यूबलाइट न देखो तो ही अच्छा होगा समय और यकीन से यकीं उठ जाएगा | 
 
पुष्कर ओझा