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बिहार की पहचान बनी नृत्य निर्देशिका सीमा कर्ण

 
        गया जिला (बिहार) की बेटी सुश्री सीमा कर्ण का सपना बचपन से ही नृत्य एवम अभिनय की ओर रहा ई अपनी शिक्षा के दर्मियाँ पाठशाला एवम कॉलेज के स्टेज शो से रहा जहा उन्हें कई सहानभूति मिली I अपनी शिक्षा में सदा अव्वल रहने वाली सीमा अपने अभिनय एवम नृत्य में भी सदा अव्वल रही I अपनी नृत्य की शिक्षा श्री डॉ. नागेन्द्र मालिनी से प्राप्त की I अभिनय की दुनिया में इन्हें पहली ब्रेक आम्रपाली नामक स्टेज नाटक से मिला जिनमे मुख्य पत्र आम्रपाली का किरदार निभाने का मौका मिला और इसके बाद वो कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखि I आज वह एक सफल नृत्य निर्देशिका के रूप में अस्थापित हैं और कई बड़े कार्यों को अंजाम दे रही हैं I क्षेत्रीय भाषा में लगभग एक दर्जन फिल्मों में नृत्य निर्देशक का कार्य कर आज हिंदी फिल्म एवम धारावहिकों में कार्य कर रही हैं I कुछ फिल्में इस प्रकार हैं जो आज इन्हें ये उपाधि से जाने जाते हैं पिरितिया से प्यार हो गइल, जलल लाल चिंगारी,दरदिया इत्यादि भोजपुरी में हैं एवम हिंदी फिल्में जिनके लिए आज वो पूर्ण रूप से व्यस्त है ये इस प्रकार हैं I एक आखरी रात, एक कहानी ऐसी भी (निर्देशक संजय शरण ),कैफ शिमला, माय लास्ट सेल्फी इत्यादि हैं I