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उस्तादी में ढाबा का मज़ा

        हम कमाते क्यों हैं, खाने के लिए। विज्ञापन का यह स्लोगन काफी पसंद किया गया था। यह सोलह आने सच है कि इंसान की पहली जरुरत रोटी होती है। हम भारतीय लोग स्वादिष्ट व्यंजन के शौक़ीन होते है। घर का खाना से पेट तो भरता ही है मगर जब दिल भर जाता है तो बाहर यानि रेस्टारेंट में जाकर खाना खाते हैं। शहर में रेस्टारेंट का बिज़नेस बहुत फलता फूलता है। पिछले दिनों दक्षिण मुम्बई में डाकयार्ड रोड स्टेशन के नजदीक एक ढाबा नुमा रेस्टारेंट ' उस्तादी - द चारकोल लॉन्ग ' की ओपनिंग में मुम्बई की महापौर स्नेहल आंबेकर, मशहूर एडवोकेट उज्जवल निकम सहित जाने पहचाने मंत्रीगण और कलाकार उपस्थित हुए थे। उस्तादी के संचालक सरफ़राज़ और उज़ैर ने सभी का तहेदिल से स्वागत किये। सरफ़राज़ ने बताया कि यहाँ रेस्टारेंट खोलने का मक़सद है कि मुम्बई के लोग गांव के जैसे माहौल में खाने के लिए शहर से दूर हाईवे स्थित रेस्टारेंट जाते है जिससे उनका काफी समय बर्बाद हो जाता है और ट्रैफिक की परेशानी सो अलग । इसीलिए हमने उनकी सुविधा के लिए वहाँ का खाना यहाँ परोसने के हिसाब से यह कदम उठाया।उस्तादी में मुगलई, चायनीज़, पंजाबी सहित शाकाहारी व मांसाहारी हर प्रकार के भोजन का समावेश रहेगा । सरफ़राज़ 2008 से होटल बिज़नेस से जुड़े हैं, शॉपिंग मॉल में उन्होंने रेस्टारेंट चलाते हुए इसका अच्छा खासा तज़ुर्बा हासिल किया है।
 
 
संतोष साहू